![]() |
अफ़सोस सर से बाप का साया चला गया लिरिक्स |
Afsos Sar Se Baap Ka Saya Chala Gaya Lyrics Hindi
अफ़सोस सर से बाप का साया चला गया
बे फिक्र ज़िंदगी का सहारा चला गया।
बरकत थी जिसके दम से हमारे मकान में
यानी वो बरकतों का खज़ाना चला गया।
अफसोस किसके बाप से जाकर कहें ये बात
दाग़ ए यतीमी दे के वो हंसता चला गया।
एक पल मुझे क़रार नहीं है तेरे बगैर
रोता सिसकता छोड़ के कैसा चला गया।
सब सो रहे थे रात की तन्हाई में शकील
गुलशन उजाड़ कर कोई साया चला गया।
Shayar: Shakeel Ahmed
Naatkhwan: Mushahid Raza Wahidi, Haider Ali Faizi etc.
Post a Comment